राजस्थान की बेटी देशभर में जगा रही पर्यावरण की अलख
डॉ. मधु बिश्नोई राजस्थान की एक प्रसिद्ध कथावाचिका है। जिन्होंने कम उम्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। मधु बिश्नोई मूलतः भीनमाल, जालौर से ताल्लुक रखती है। प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ भजनों से अपने आध्यात्मिक करियर की शुरुआत करने वाली मधु बिश्नोई आज जानी-मानी कथाकार और गायक बन चुकी है। राजस्थान के साथ-साथ हरियाणा व पंजाब में भी पिछले कई वर्षों से लगातार उनकी कथाएं होती है। अलग-अलग क्षेत्रों में कथा के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण व अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने के लिए जागृत करने का काम डॉ. मधु बिश्नोई कर रही है।
अपनी कथाओं में मोमेंटो की जगह पौधे से सम्मान
सोशल मीडिया पर डॉ. मधु बिश्नोई की फैन फॉलोइंग काफी तगड़ी है। फेसबुक व इंस्टाग्राम पर उन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं। इंटरनेट पर डॉ. मधु बिश्नोई के भजनों के अलावा उनकी कथाएं काफी चर्चा का विषय बनी रहती है। डॉ. मधु बिश्नोई अपने कथाओं से समाज में कुरूतियों को दूर करने के साथ-साथ पर्यावरण का भी बड़ा संदेश दे रही है। डॉ. मधु बिश्नोई अपनी कथाओं में आने वाले प्रत्येक अतिथि को मोमेंटो की जगह पौधा देकर पर्यावरण जन जागरण का बड़ा संदेश दे रही है। मीडिया से बातचीत में डॉ मधु ने बताया कि आज के समय में हम सब लोगों की जिम्मेदारी है कि बढ़ती हुई ग्लोबल वाॅर्मिंग के कारण पर्यावरण को बचाना चाहिए, अगर पर्यावरण बचेगा तो ही हमारी आने वाली पीढ़ियाँ बचेगी।
कथाओं के साथ-साथ युवाओं को भी कर रहे है मोटिवेट
डॉ मधु ने कहा कि हार या जीत जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है, जीवन नहीं। क्या पता ईश्वर ने आपकी किस्मत में इस हार के बाद बड़ी जीत लिख रखी हो। आजकल के युवा छोटी-छोटी बातों पर इतने निराश हो जाते हैं कि जीवन तक त्याग देते हैं। ईश्वर पर भरोसा रखना सीखें। कठिनाइयों से उबरना सीखें। हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अनेकों कठिनाइयां आती है, लेकिन हमें हमेशा निडर होकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए।