स्वयं की शक्तियों का जब हमें अनुमान होता है तब सफ़र निज लक्ष्य का सचमुच बड़ा आसान होता है ।

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Dainik Gurujyoti Patrika

दो सुविचार

स्वयं की शक्तियों का जब हमें अनुमान होता है तब सफ़र निज लक्ष्य का सचमुच बड़ा आसान होता है ।स्वयं की शक्तियों का

जब हमें आभाष होता है स्वयं के प्रति हमारा दृढ़ सघन विश्वास होता है । तभी तो कहा है कि घर में आगन्तुक सम्माननीय मेहमान काउनके आने पर आदर-सन्मान पॉंव छू कर ही किया जाए तथा साथ में हमारे द्वारा मोबाईल एक तरफ़ रख देना भी उनके प्रति कमआदर-सन्मान नहीं हैं । वो भी एक युग था जब सभ्यता और शिक्षा कम थी और आम आदमी की जीविका चलाने के लिये वस्तुओं काआदान प्रदान ही माध्यम था।

उस युग में प्रगति कम थी पर पारस्परिक स्नेह और मन की शांति बहुत थी।मन के अंदर छल कपट,व्यभिचार और संग्रह की सीमा आदिनहीं के बराबर थी। समय के साथ हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ तो पारस्परिक सहयोग की भावना का भी ह्रास होता जा रहा है । सामूहिकपारस्परिक सहयोग के प्रयत्नों द्वारा ही व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए विकास एवं उन्नति कर सकता हैं ।भले ही बड़ाहो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता आदि सभी के लिए यह आवश्यक है।इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में पारस्परिक सहयोग कर अपना श्रेष्ठतम योगदान दे । पारस्परिक सहयोगसे संबंधित वह सभी कार्य सम्मिलित हैं जिसमे हम सभी एक दूसरे की मदद करने को सदैव तत्पर रहे चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो, चाहेव्यावसायिक क्षेत्र हो या हो पारिवारिक स्तर आदि ।

प्रदीप छाजेड़ 

( बोरावड़ )

नम्बर -9993876631

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