ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की
जयपुर (पिंटू भारतीय)
स्वर्गीय भैरोंसिंह सिंह शेखावत के जन्मशताब्दी समारोह में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज खाचरियावास आए । गडकरी ने स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत की आदमकद मूर्ति के सम्मुख पुष्पांजलि अर्पित की । इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी आयी । वसुंधरा राजे अपना भाषण लिखकर लाई थी । एक से बढ़कर एक सियासी वार भी किए । गडकरी और राजे एक घंटे मंच पर रहे मगर एक बार भी बातचीत नहीं की । जबकि गडकरी और राजे की कुर्सी पास-पास लगी थी ।
राजे ने अपने भाषण में अप्रत्यक्ष रूप से घनश्याम तिवाड़ी पर तंज़ कसा । वसुंधरा राजे ने स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के अमेरिका प्रवास के दौरान बगावत करने वालों पर तंज़ कसा । राजे ने कहा कि जब स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत अमेरिका गए थे तब पीछे से कांग्रेस ने भाजपा सरकार गिराने का कुत्सित प्रयास किया मगर कांग्रेस सफल नहीं हो सकी । राजनीति के जानकार मानते हैं कि जब भैरोंसिंह शेखावत अमेरिका गए तब घनश्याम तिवाड़ी और पंडित भंवरलाल शर्मा ने मिलकर नेतृत्व परिवर्तन का असफल प्रयास किया था । यूं घनश्याम तिवाड़ी स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के शिष्य थे । किन्तु इस घटना के बाद शेखावत और तिवाड़ी के संबंधों में मधुरता नहीं रही ।
राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने जब भाषण देना शुरू किया तो कुछ समय बाद ही नितिन गडकरी आ गए । संचालक तिवारी के भाषण के बीच ही बोलने लगे । आखिर तिवाड़ी ने अपना भाषण बीच में रोक दिया। कभी राजस्थान की राजनीति में कद्दावर नेता थे घनश्याम तिवाड़ी । राजे से अदावत के बाद घनश्याम तिवाड़ी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय वाहिनी बनाई । इस दल को भारी शिकस्त मिली। तिवाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए। यहां उचित सम्मान नहीं मिला तो अपने पुराने घर लौट गए। पुराने साथी और जोड़ तोड़ से सांसद बनकर अपना उत्तरार्द्ध काट रहे हैं । उनको पुनर्जीवन मिला है।
वसुंधरा राजे ने स्वर्गीय भैरोंसिंह सिंह शेखावत के संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि एक बार जब हरिदेव जोशी ने उनसे मिलने का समय मांगा तो वे स्वयं मुख्यमंत्री रहते हुए उनके घर पहुंच गए । शेखावत के सुखाडिया और हरिदेव जोशी के संबंधों का ज़िक्र भी किया। साथ ही यह भी कहा कि किसी का सहयोग करना गठजोड़ नहीं है ।
वसुंधरा राजे ने जब स्वर्गीय भैरोंसिंह सिंह शेखावत को याद किया तो उनका गला अवरुद्ध हो गया था । राजे ने शेखावात को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए कहा कि वे जो भी विधायक अच्छा भाषण देते उनको प्रोत्साहित करते तथा उनके हाथ से ही लड्डू बंटवाते ।
भाजपा को कर्नाटक में करारी हार मिली है । राजस्थान में 2023 में चुनाव हैं । ऐसे में स्टेट लीडरशिप और क्षत्रपों को तवज्जो देनी होगी । राजस्थान और कर्नाटक की राजनीति में अंतर है ,मगर भाजपा को रण जीतने के लिए रणनीति बदलनी होगी ।